माँ (Maa) – एक ऐसा शब्द जिसमें पूरी दुनिया समाई होती है। इस लेख में हम आपके लिए लाए हैं दिल को छू जाने वाली Maa Shyari in Hindi जो माँ के प्यार, त्याग और ममता को खूबसूरती से बयां करती है। चाहे आप माँ को याद कर रहे हों, माँ के लिए दिल से कुछ कहना चाहते हों या सोशल मीडिया पर माँ के लिए कोई खास शायरी शेयर करना चाहते हों, यहाँ आपको मिलेगी emotional maa shyari, maa ke liye status in hindi, maa quotes in hindi, और heart touching maa shyari. इस संग्रह में हर भावना को बयां करने वाली शायरियाँ हैं जो आपकी माँ के लिए एक खूबसूरत तोहफा बन सकती हैं।
Heart Touching Maa Shyari in Hindi:

खुदा देखा, चाँद देखा,
न जाने मैने क्या क्या देखा,
पर इस दुनिया में,
माँ से खूबसूरत कुछ नही देखा।
मांगने पर जहाँ पूरी हर एक मन्नत होती है,
माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है।
माँ के बिना दुनिया की हर चीज़ कोरी है,
दुनिया का सबसे सुंदर संगीत माँ की लोरी है।
हजारों गम हों फिर भी खुशी से फूल जाता हूं,
जब हँसती है मेरी माँ मैं हर गम भूल जाता हूं..!
माँ और उसकी ममता दोनो में नूर है,
किसी हीरे की जरूरत कहां मेरी तो माँ ही कोहिनूर है।
किस्मत की लकीरें
माँ की दुआओं से बनती हैं।
कितना भी लिखें उसके लिए बहुत कम है,
सच तो ये है कि माँ है तो हम हैं।
जज़्बात अलग हैं पर बात तो एक है,
उसे माँ कहूं या भगवान बात तो एक है।
है एक कर्ज जो हरदम सवार रहता है,
वो माँ का प्यार है,
सब पर उधार रहता है। भले ही मोहब्बत का जिक्र करता है ये सारा जमाना,
पर प्यार की शुरुआत आज भी माँ से ही होती है।
लबों पर जिसके कभी बद्दुआ नही होती,
दुनिया में वो माँ ही है जो कभी खफा नही होती।

उसकी मासूम मुस्कुराहट देख वो भी
अपने गम भुला देती हैं,
ये माँएं भी ना जाने कैसे दर्द में भी
मुस्कुरा देती हैं।
सर पर जो हाथ फेरे तो हिम्मत मिल जाए,
माँ एक बार मुस्कुरा दे तो जन्नत मिल जाए।
माँ ने सर पर हाथ रखा तब
चैन मिला बीमारी में,
अब पता चला की एक मसीहा भी
रहता है, घर की चारदीवारी में।
कि माँ की तरह हर कोई
मेरी गलती माफ नही करता,
और आँसू तो सब देते हैं,
मगर तेरी तरह कोई साफ नही करता।
भटके हुए मुसाफिर को जैसे राह मिली,
टूटा जब जब मैं मुझे माँ मिली..!
सीधा साधा भोला भाला
मैं ही सब से सच्चा हूं,
कितना भी हो जाऊं बड़ा
माँ आज भी तेरा बच्चा हूं।
फर्क नही पड़ता की दुनिया क्या कहती है,
मैं खूबसूरत हूं बहुत ये मेरी माँ कहती है।
जब दवा काम नही आती है,
तब माँ की दुआ काम आती है।
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जिस्म रोता है पर रूह नही होती,
दर्द उनसे पूछो जिनकी माँ नही होती!
रोटी वो आधी खाती है
बच्चे को पूरी देती है,
मेरी हो या तुम्हारी दोस्तों,
माँ सबकी माँ होती है।

सब बदल जाते हैं यार भी, प्यार भी
बसएक माँ की मोहब्बत नहीं बदलती।
सीधा साधा भोला भाला मैं ही सब से सच्चा हूँ
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ आज भी तेरा बच्चा हूँ !
हजारों गम हों फिर भी मैं ख़ुशी से फूल जाता हूँ
जब हंसती है मेरी माँ मैं हर गम भूल जाता हूँ !
जन्नत का हर लम्हा….दीदार किया था
गोद मे उठाकर जब माँ ने प्यार किया था !
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं
इस जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं…!
पूछता है जब कोई मुझसे कि दुनिया में मुहब्बत अब बची है कहाँ ?
मुस्कुरा देता हूँ मैं और याद आ जाती है “माँ”
मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है
माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है !
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती !
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है !
हजारो फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए,
हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए
हजारों बून्द चाहिए समुद्र बनाने के लिए,
पर “माँ “अकेली ही काफी है,
बच्चो की जिन्दगी को स्वर्ग बनाने के लिए..!!
माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत,
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा।
ठोकर न मार मुझे पत्थर नही हूं मैं,
हैरत से न देख मुझे मंजर नही हूं मैं,
तेरी नज़रों में मेरी कदर कुछ भी नही,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नही हूं मैं।
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।
हालातों के आगे जब साथ न जुबां होती है,
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो साफ “माँ” होती है।
सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है!
सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है!
जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था,
गोद में उठाकर जब माँ ने प्यार किया था।
सर पर जो हाथ फेरे तो हिम्मत मिल जाये,
माँ एक बार मुस्कुरा दे तो जन्नत मिल जाये।
जब-जब कागज पर लिखा मैंने माँ का नाम,
कलम अदब से बोल उठी हो गये चारों धाम।
माँग लूँ यह दुआ कि फिर यही जहाँ मिले,
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले।
उसका काला टीका किसी सुदर्शन चक्र से कम नही,
माँ एक उंगली काजल से सारी बलाएं टाल देती है..।
ऊपर जिसका अंत नही उसे आसमां कहते हैं,
इस जहां में जिसका अंत नही उसे माँ कहते हैं।
मेरी तकदीर में कभी कोई गम नही होता,
अगर तकदीर लिखने का हक मेरी माँ को होता।
जिसके होने से मैं खुद को मुकम्मल मानता हूं,
मेरे रब के बाद मैं बस अपनी माँ को जानता हूं।
तुम क्या सिखाओगे मुझे प्यार करने का तरीका,
मैने माँ के एक हाथ से थप्पड़ तो दूसरे हाथ से रोटी खाई है।
जब–जब कागज पर लिखा मैंने माँ का नाम,
कलम अदब से बोल उठी हो गए चारों धाम।
बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ,
उठाया गोद में माँ ने, तब आसमान छुआ!
एक हस्ती है जान मेरी जो
जान से भी बढ़ कर है शान मेरी
रब्ब हुकम दे तो करदूं सजदा उसे
क्योंकि वो कोई और नहीं माँ है मेरी॥
रुके तो चांद जैसी है,
चले तो हवाओं जैसी है,
वो माँ ही है, जो धूप में भी छाँव जैसी है।
रूह के रिश्तों की ये गहराइयों तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियाँ में माँ को भले ही भूल जाये,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।
सूना-सूना सा मुझे ये घर लगता है,
माँ जब नहीं होती तो बहुत डर लगता है।

मंजिल दूर और सफर बहुत है,
छोटी सी जिंदगी की फिकर बहुत है,
मार डालती ये दुनिया कब की हमें,
लेकिन मां की दुआओं में असर बहुत है।
कदम जब चूम लें मंजिल तो जज्बा मुस्कुराता है,
दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है।
तेरे ही आँचल में निकला बचपन,
तुझ से ही तो जुड़ी हर धड़कन,
कहने को तो माँ सब कहते हैं,
पर मेरे लिए तो है तू भगवान।
वो जमीं मेरी वो ही आसमान,
वो खुदा मेरा वो ही भगवान,
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़,
माँ के कदमों में है सारा जहाँ।
तुझसे बढ़कर ना है कोई,
ना तुझसा कोई प्यारा,
माँ तू ही है खुदा हमारे लिए,
जिसने हमें प्यार से पाला।
राम लिखा, रहमान लिखा….
गीता और कुरान लिखा,
जब बात हुई पूरी दुनिया को एक लफ्ज़ में लिखने की,
तब मैने ‘माँ’ का नाम लिखा।।
मेरे गम और मेरी हँसी का हिसाब कौन करेगा,
मेरी गलतियों को माफ कौन करेगा,
ऐ खुदा रखना सलामत सदा मेरी माँ को,
वरना मेरी लंबी उम्र की दुआ कौन करेगा।
मेरी गलतियों पर डालती है परदे मुझे,
माफ एक बार नही हर बार करती है,
सिर्फ मेरी माँ ही है जो बिना किसी,
चाहत के मुझसे प्यार बेशुमार करती है।
किसी ने रोजा रखा किसी ने उपवास रखा,
कुबूल उसका हुआ जिसने अपने माँ-बाप को अपने पास रखा….!!
न जाने क्यों आज के इंसान इस बात से अनजान हैं
छोड़ देते हैं बुढ़ापे में जिसे वो माँ तो एक वरदान है!
पल्लू में कुछ पैसे बांधकर आज भी माँ रखती है
अपने बच्चो के लिए हाज़िर अपनी जहाँ रखती है।